
पुस्तपालन तथा लेखाकर्म के लाभ (Advantages of Book-keeping and Accountancy)
Advantages of Book keeping and Accountancy: Hello Readers! जैसा की आपको पता है हम वाणिज्य (Commerce) विषय के पाठ्यक्रम को कवर कर रहे है आपको बता दे की ये निम्न परीक्षाओ में पुछा जा सकता है जैसे- 1st Grade, Co-operative Bank, Jr. Accountant NTA- net, C.A. Foundation, TGT, PGT and All Other Exams, अभी तक हम निम्न टॉपिक्स पढ़ चुके है – लेखांकन की शब्दावली-Terminology of Accounting, पुस्तपालन या बहीखाता (Book-keeping) | अर्थ, परिभाषा, विशेषताए, लेखाशास्त्र या लेखाकर्म (Accountancy) | लेखांकन (Accounting) | अर्थ, परिभाषा, मूल तत्त्व, पुस्तपालन और लेखाकर्म में सम्बन्ध, पुस्तपालन तथा लेखाकर्म में अन्तर, पुस्तपालन तथा लेखाकर्म के उद्देश्य
पुस्तपालन तथा लेखाकर्म से मिलने वाले लाभों का विस्तृत वर्णन नीचे प्रस्तुत है –
(I) व्यवसायियों को लाभ (Advantages to Businessmen)
पुस्तपालन तथा लेखाकर्म से सर्वाधिक व्यवसायी लाभान्वित होते है जैसाकि निम्न विवरण से स्पष्ट है
स्मरण शक्ति का प्रतिस्थापन
व्यवसाय में प्रतिदिन नकद व उधार अनेक व्यवहार किए जाते हैं। कोई भी व्यवसायी अपने व्यवसाय के सभी लेन-देनों को मौखिक रूप से याद नहीं रख सकता क्योंकि मानव की स्मरण शक्ति सीमित है। अत: ‘पहले लिख पीछे दे, भूल पड़े तो कागज से ले’ वाली कहावत को चरितार्थ करने हेतु यह आवश्यक है कि प्रत्येक सौदे को शीघ्र ही लेखा पुस्तकों में लिख दिया जाए। इससे-
- गलती होने की सम्भावना नहीं रहती है
- लेन-देन का अभिलेखन (recording) करने के बाद उन्हें याद रखने की आवश्यकता नहीं रहती।
- इस कार्य में पुस्तपालन अत्यन्त सहायक सिद्ध होता है।
व्यवसाय की वित्तीय स्थिति का ज्ञान
अपनी लेखा पुस्तकों की सहायता से कोई व्यवसायी अपने व्यवसाय की स्थिति ज्ञात कर सकता है। वह यह जान सकता है कि उसका व्यवसाय लाभ में चल रहा है या हानि में, उसकी कितनी देनदारियाँ तथा कितनी लेनदारियाँ हैं, उसकी कितनी सम्पत्तियाँ तथा कितने दायित्व है आदि।
छल-कपट व जालसाजी से बचाव
बड़े व्यावसायिक इकाइयों के स्वामी अपने व्यवसाय की देखभाल स्वयं नहीं कर सकते, बल्कि इसके लिए उन्हें अनेक कर्मचारियों को रखना पड़ता है। बहीखाते ऐसे व्यवसायियों की कर्मचारियों के छल-कपट, जालसाजी, गबन आदि से रक्षा करते हैं।
शीघ्र निर्णय में सहायक
व्यापार में आने वाली समस्याओं के बारे में व्यापारी को शीघ्र निर्णय लेने पड़ते हैं। ऐसा तभी सम्भव है जब लेखा-पुस्तकों को उचित ढंग से रखा गया हो।
तुलनात्मक अध्ययन में सुविधा
यदि किसी व्यवसायी ने अपना हिसाब-किताब उचित ढंग से रखा है तो वह चालू वर्ष के आय-व्यय तथा लाभ-हानि की तुलना गत वर्षों के लाभ-हानि से कर सकता है लाभ या हानि के कारणों को ज्ञात करके वह भविष्य के लिए उपयुक्त योजना बना सकता है।
व्यवसाय के प्रबन्ध में सहायता
व्यवसाय के प्रबन्धकों को कुशल प्रबन्ध के लिए ऐसी अनेक सूचनाओं की आवश्यकता पड़ती है जो केवल लेखा विभाग से ही प्राप्त हो सकती हैं।
ऋण-प्राप्ति में सुविधा
व्यवसाय के विकास एवं विस्तार के लिए अधिक पूँजी की आवश्यकता पड़ती है। अच्छी साख के आधार पर कोई व्यवसायी आसानी से बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं से समुचित ऋण प्राप्त कर सकता है। यदि गत वर्षों के खाते शुद्ध हैं तथा नियमानुसार तैयार किए गए हैं तो अपनी साख की पुष्टि के लिए वह उन्हें बैंक के सम्मुख प्रस्तुत कर सकता है।
व्ययों पर नियन्त्रण
बहीखाते व्यय की विभिन्न मदों का पूर्ण लेखा प्रस्तुत करते हैं। कोई व्यवसायी इनका भली-भांति अध्ययन करके अपने अनावश्यक खर्चों की रोकथाम करके अपने लाभ की मात्रा को बढ़ा सकता है।
बकाया राशि की वसूली
व्यापारी अपनी लेखा-पुस्तकों से यह ज्ञात कर सकता है कि उसे किन-किन पक्षो (parties) से कितनी-कितनी रकम प्राप्त करनी है। वह सम्बन्धित पक्षों से तकादा करके अपनी धनराशि वसूल कर सकता है।
वैधानिक प्रमाण
न्यायालय में बहीखाते विश्वसनीय प्रमाणों के रूप में स्वीकार किए जाते हैं। किसी ऋणी के विरुद्ध बहीखातों के आधार पर वैधानिक कार्यवाही की जा सकती है।
विवादों के हल में सुविधा
व्यापारियों के मध्य कोई विवाद या मतभेद उत्पन्न होने पर लेखा-पुस्तकें ऐसे विवाद के समाधान में सहायक सिद्ध होती हैं। किसी व्यापारी की अनुपस्थिति में अथवा उसकी मृत्यु हो जाने पर उसकी हिसाब की पुस्तकों से व्यवसाय सम्बन्धी आवश्यक सूचनाएँ प्राप्त की जा सकती हैं।
करों का उचित निर्धारण
अधिकांश व्यवसायियों को सरकारी खजाने में अनेक करो की धनराशि जमा करनी पड़ती है, जैसे- उत्पादन शुल्क, बिक्री कर, सेवा कर, पूँजी कर, सीमा शुल्क, आयकर आदि। यदि व्यवसायी ने विधिवत् ढंग से शुद्ध लेखा-पुस्तकें तैयार कराई है तो वह उन्हें अधिकारियों को दिखाकर उनकी मनमानी से बच जाता है तथा उस पर उचित कर को लगाया जाता है।
कर्मचारियों पर नियन्त्रण में सहायक
उचित ढंग से लेखा – पुस्तकें तैयार करने के लिए कर्मचारियों को सदैव सजगता एवं ईमानदारी से कार्य करना पड़ता है।, नियमित ढंग से रखे गए हिसाब-किताब द्वारा कर्मचारियों की गलतियों व धोखाधड़ी को पकड़कर उनकी अवांछनीय गतिविधियों को न केवल नियन्त्रित किया जा सकता है वरन् उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि के लिए प्रयास भी किए जा सकते हैं।
विशालस्तरीय उत्पादन में आवश्यक
आजकल वस्तुओं का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। इस प्रकार की व्यवस्था नियमबद्ध लेखा-पुस्तकों के अभाव में कार्य नहीं कर सकती।
कानूनी अनिवार्यता
कम्पनी अधिनियम, 2013 के अन्तर्गत कम्पनियों के लिए पुस्तपालन तथा लेखाकर्म सम्बन्धी लेखे तैयार करना अनिवार्य है।
ख्याति के मूल्यांकन में सहायक
किसी व्यावसायिक इकाई द्वारा उचित ढंग से रखे गए विभिन्न वर्षों के लेखों के आधार पर उसकी ख्याति (goodwill) का मूल्यांकन सुगमता से किया जा सकता है।
साझेदारी में सहायक
- किसी फर्म में साझेदार के रूप में प्रवेश करने वाले व्यक्ति को फर्म को वित्तीय स्थिति ज्ञात करने की इच्छा होती है। यह कार्य लेखाकर्म की सहायता से किया जा सकता है।
- किसी साझेदार के अवकाश ग्रहण करने पर या साझेदारी छोड़कर जाने पर उसे देय राशि का भुगतान लेखों की सहायता से किया जाता है।
- फर्म के विघटन (dissolution) की स्थिति में साझेदारों के आपसी विवादों का समाधान मुख्यतया लेखा-पुस्तकों के आधार पर किया जाता है।
दिवालिया घोषित कराने में सहायक
यदि कोई व्यवसायी अपने व्यवसाय में निरन्तर हानि होने पर अपने को दिवालिया (insolvent) घोषित करवाने के लिए न्यायालय में प्रार्थना-पत्र देता है तो न्यायालय उसके दायित्वों तथा सम्पत्तियों का पूर्ण विवरण माँगता है। यदि व्यवसायी ने समुचित ढंग से अपना हिसाब-किताब रखा है तो न्यायालय उसकी लेखा-पुस्तकों पर विश्वास करके उसे दिवालिया घोषित कर सकता है।
(II) ग्राहकों को लाभ (Advantages to Customers)
नियमबद्ध ढंग से हिसाब
किताब रखने पर व्यवसायी अपनी उत्पादन लागत की ठीक-ठीक गणना करके वस्तु की उचित कीमत निर्धारित कर सकता है। इससे वस्तुएँ उपभोक्ताओं को ठीक कीमतों पर उपलब्ध हो जाती हैं।
(III) निवेशकों को लाभ (Advantages to Investors)
किसी व्यावसायिक संस्था की वित्तीय स्थिति तथा गत वर्षों के लाभ-हानि आदि की उपयुक्त जानकारी प्राप्त करने के बाद ही निवेशक उसमें निवेश करने के बारे में निर्णय लेते हैं।
(IV) कर्मचारियों को लाभ (Advantages to Employees)
लेखाकर्म से संस्था को एक लाभ यह होता है कि इससे कर्मचारियों के वेतन, बोनस तथा अन्य प्रकार के भुगतानों के निर्धारण में सहायता मिलती है। जब से कर्मचारियों को प्रबन्ध में हिस्सेदारी दी जाने लगी है तब से इस लाभ का विशेष महत्त्व हो गया है।
(V) सरकार को लाभ (Advantages to Government)
लेखाकर्म से सरकार को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं जैसे –
वित्तीय सहायता
सरकार समय-समय पर विभिन्न प्रकार के व्यवसायों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। वित्तीय सहायता का समुचित निर्धारण व्यावसायिक लेन-देनों सम्बन्धी लेखा-पुस्तकों के आधार पर ही किया जा सकता है।
लाइसेंस देना
लेखा-पुस्तकों के समुचित ढंग से तैयार किए जाने पर सरकार को व्यावसायिक उपक्रमों को आयात, निर्यात तथा अन्य प्रकार के लाइसेंस देने में सुविधा रहती है।
करों का निर्धारण
व्यवसायियों द्वारा नियमबद्ध ढंग से लेखा-पुस्तकें तैयार किए जाने पर सरकार को आयकर, बिक्री कर, उत्पादन-शुल्क आदि के निर्धारण में सुगमता हो जाती है। इससे व्यवसायी तथा सरकार दोनों ही लाभान्वित होते हैं।
देश की आर्थिक स्थिति का ज्ञान
यदि सभी व्यवसायों में लेखाकर्म के कार्य को ठीक ढंग से सम्पन्न किया गया है तो विभिन्न व्यवसायों की प्रगति सम्बन्धी जानकारी प्राप्त करके समस्त देश की व्यावसायिक तथा औद्योगिक प्रगति की गणना की जा सकती है.
(VI) न्यायालय को लाभ (Advantages to Court)
यदि किसी व्यावसायिक संस्था सम्बन्धी कोई वित्तीय विवाद न्यायालय में विचाराधीन है और संस्था ने नियमानुसार लेखा-पुस्तकें तैयार की हुई हैं तो न्यायालय आसानी से ठीक-ठीक निर्णय सकता है।
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- लेखांकन की शब्दावली-Terminology of Accounting
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- लेखाशास्त्र या लेखाकर्म (Accountancy), लेखांकन (Accounting) | अर्थ, परिभाषा
- पुस्तपालन और लेखाकर्म में सम्बन्ध
- पुस्तपालन तथा लेखाकर्म में अन्तर
- पुस्तपालन तथा लेखाकर्म के उद्देश्य