
श्यामपट्ट लेख कौशल (Skill of blackboard writing)
श्यामपट्ट लेख कौशल अर्थ
श्यामपट्ट लेख कौशल शिक्षण प्रक्रिया का महत्त्वपूर्ण योगदान है। श्यामपट्ट के अभाव में कक्षा-कक्ष को पूर्ण रूप प्रदान नहीं किया जाता है। क्योंकि इसके प्रयोग की शिक्षक को कदम-कदम पर आवश्यकता होती है। शिक्षण में आने वाली विभिन्न कठिनाइयों का समाधान या अधिगम को अधिक प्रभावी बनाने हेतु श्यामपट्ट की आवश्यकता होती है। श्यामपट्ट के माध्यम से प्राप्त ज्ञान स्थायी तथा प्रभावशाली होता है क्योंकि इसमे ज्ञानेन्द्रिय (श्रवणेन्द्रियाँ, नेत्रेन्द्रियाँ) दोनों मिलकर ज्ञानार्जन का प्रयास करती हैं तथा स्थायी ज्ञान प्राप्त करती हैं। श्यामपट्ट का प्रयोग प्रत्येक अध्यापक को करना चाहिए जिससे उनके द्वारा स्थापित साधारणीकरण की प्रक्रिया कक्षा में मजबूत हो तथा शिक्षक और छात्र के सम्बन्धों में नजदीकी आती है।
श्यामपट्ट की उपयोगिता
श्यामपट्ट की उपयोगिता शिक्षण में परम आवश्यक मानी जाती है। इसके प्रयोग से कक्षा में अनुशासन, स्थायी ज्ञान तथा समस्याओं का निराकरण आसानी से हो जाता है। शक्षण में श्यामपट्ट की उपयोगिता निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत दृष्टिगोचर हैं-
- श्यामपट्ट के प्रयोग से शिक्षक बालक की श्रवण तथा ज्ञानेन्द्रियों से ज्ञान प्राप्त करने में किया जाता है अतः श्यामपट्ट में दिये जाना वाला ज्ञान अधिक दृढ़ता से स्मरण वाला होता है।
- श्यामपट्ट द्वारा कठिन स्थलों की व्याख्या चित्र बनाकर, रेखाचित्र अंकित करके, मानचित्र बनाकर या कठिन शब्द लिखकर जा सकती है।
- श्यामपट्ट द्वारा छात्रों का मूल्यांकन आसानी से किया जाता है।
- गणित व विज्ञान में शिक्षक श्यामपट्ट की सहायता से ही शिक्षण करता है।
- छात्रों का परीक्षण भी श्यामपट्ट पर बुलाकर आसानी से किया जा सकते हैं।
श्यामपट्ट के प्रयोग में सावधानियाँ
श्यामपट्ट का प्रयोग करते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए-
- श्यामपट्ट पर जो लेख लिखा जाए वह शुद्ध, सरल एवं स्पष्ट होना चाहिए जो सुगमता से पढ़ा जा सके।
- श्यामपट्ट पर बने अक्षर सुडौल तथा अच्छे होने चाहिए।
- श्यामपट्ट पर लिखते समय शब्दों और पंक्तियों में निश्चित दूरी का अन्तर रखना चाहिए।
- श्यामपट्ट पर रेखाचित्र इस प्रकार बनाया जाए जिससे सम्पूर्ण कक्षा के छात्र आसानी से देख सकें।
- श्यामपट्ट पर लिखने की गति धीमी होनी चाहिए।
- श्यामपट्ट पर बहुत देर तक नहीं लिखना चाहिए।
- विज्ञान और भूगोल के शिक्षक को रंगीन चॉक का भी प्रयोग करना चाहिए जिससे महत्त्वपूर्ण अंगों को आसानी से दर्शाया जा सके।
- श्यामपट्ट पर जो भी लिखा जाए वह पाठ से सम्बन्धित सामग्री हो, व्यर्थ बातें श्यामपट्ट पर न लिखें।
- शिक्षक को चॉक या खड़िया से कक्षा में नहीं खेलना चाहिए।
- श्यामपट्ट कक्षा-कक्ष छोड़ने से पूर्व शिक्षक को छोड़ देना चाहिए।
श्यामपट्ट कौशल के घटक
स्यामपट्ट लेखन के कौशल घटकों को तीन भागों में लिखा है-
- लेखन कार्य की स्पष्टता।
- श्यामपट्ट कार्य की स्वच्छता।
- श्यामपट्ट कार्य की उपयुक्तता।
श्यामपट्ट कार्य की स्पष्टता
- अक्षरों की स्पष्टता।
- अक्षरों की उपयुक्तता।
- शब्द व अक्षर कक्षा के अन्तिम छोर तक दिखायी दे रहे हों।
- शब्दों व अक्षरों में उपयुक्त अन्तराल।
- बड़े व छोटे अक्षरों के आकार में समानता।
- अक्षरों के आकार में अन्तर।
श्यामपट्ट कार्य की स्वच्छता
- श्यामपट्ट के आधार के समानान्तर पंक्तियाँ।
- दो पंक्तियों के बीच समान अन्तराल।
- शब्दों में अन्त्यालेखन।
- श्यामपट्ट पर मुख्य बिन्दुओं को इंगित करना।
श्यामपट्ट की उपयुक्तता
- श्यामपट्ट कार्य संक्षिप्तता एवं स्पष्टता।
- रंगीन चॉक का यथास्थान उपयोग।
- मुख्य बिन्दुओं को रेखांकित करना।
- रेखाचित्रों का उपयोग।
- रेखाचित्रों की उपयुक्तता।
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