बुद्धि-परीक्षण (Intelligence Test) | अर्थ, इतिहास व प्रकार

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Intelligence Test

बुद्धि-परीक्षण का अर्थ (Meaning of Intelligence Test)

Intelligence Test: शिक्षा में व्यक्तिगत भिन्नताओं का अध्ययन करना आवश्यक है। व्यक्तिगत भिन्नताओं का ज्ञान प्राप्त करने के लिए कई विधियों का प्रयोग किया जाता है, मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तिगत भिन्नताओं को मापने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के परीक्षण बनाए हैं। इनमें बुद्धि का मापन करने के लिए बुद्धि-परीक्षणों का निर्माण किया गया है। बुद्धि परीक्षण शिक्षा की बहुत सी समस्याओं का समाधान करने में सहायता देती है। सन् 1905 में बिने ने अपने सहयोगी साइमन के साथ मिलकर सबसे पहला बुद्धि परीक्षण तैयार किया था।

बुद्धि-परीक्षण का इतिहास (History of Intelligence Test)

आधुनिक काल में बुद्धि परीक्षण के सम्बन्ध में वैज्ञानिक अध्ययन यूरोप में आरम्भ हुआ। सन् 1879 ई. में जर्मनी के प्रसिद्ध वैज्ञानिक वुन्ट (Wount) ने मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला स्थापित की। इस प्रयोगशाला में बुद्धि की परीक्षा वैज्ञानिक आधार पर की जाती थी। यहाँ बुद्धि का मापन यंत्रों के द्वारा किया जाता था। वुण्ट के कार्यों से प्रोत्साहित होकर अन्य देशों के मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि-परीक्षणों से सम्बन्धित कार्य करना आरम्भ कर दिया। इस सम्बन्ध में फ्रांस के अल्फ्रेड बिने तथा अमेरिका के थार्नडाइक एवं टरमैन ने उल्लेखनीय कार्य किए हैं।

अन्य मनोवैज्ञानिकों में गाल्टन, कैटेल, पीयरसन आदि विद्वानों ने भी अनेक बुद्धि परीक्षणों का निर्माण किया, किन्तु ये परीक्षण साधारण मानसिक क्रियाओं को मापते थे इसलिए इन्हें बुद्धि-परीक्षण नहीं कहा जा सकता।

इस कार्य में सबसे पहला व ठोस कदम उठाने वाले मनोवैज्ञानिक अल्फ्रेड बिने थे। बिने ने सन् 1905 में मनोवैज्ञानिक साइमन की सहायता से भिन्न-भिन्न आयु के बालकों की बुद्धि-परीक्षण के लिए प्रश्नावली तैयार की। जिसे ‘बिने-साइमन बुद्धि मापक‘ (Binet-Simon Scale) कहा गया।

बिने-साइमन परीक्षणों को विभिन्न देशों में मान्यता दी गयी। सन् 1908 ई. के बाद अमेरिका तथा यूरोप में ‘बिने साइमन स्केल’ में सुधार किया गया। अमेरिका में टरमैन ने सन् 1913-16 के बीच ‘बिने साइमन स्केल का संशोधन किया और इसका नाम ‘स्टैनफोर्ड बिने स्केल‘ रखा। सन् 1937 ई. में टरमैन ने मैरिल (Merril) की सहायता से इसमें फिर कुछ सुधार किया और इसका नाम ‘टरमैन-मैरिल स्केल‘ रखा। इंग्लैण्ड तथा अमेरिका में बालकों के बुद्धिमापन के लिए इन्हीं परीक्षणों का प्रयोग किया जाता है। 

भारत में भी मनोविज्ञानशाला, इलाहाबाद ने भारतीय बालकों के लिए बिने-साइमन परीक्षणों का संशोधन किया गया है। भारत में डॉ. सोहनलाल, डॉ. जलोटा, पं. लज्जाशंकर तथा डॉ. भाटिया आदि ने विभिन्न बुद्धि-परीक्षण तैयार किए हैं।

बुद्धि-परीक्षण के प्रकार (Kinds of Intelligence Test)

सन् 1905 में बिने के द्वारा प्रथम परीक्षण के निर्माण के बाद अनेक बुद्धि-परीक्षणों का निर्माण हुआ। कुछ बुद्धि-परीक्षणों को एक ही समय में केवल एक व्यक्ति पर प्रशासित किया जाता है जबकि कुछ बुद्धि-परीक्षणों को एक साथ अनेक व्यक्तियों पर प्रशासित किया जा सकता है.

अतः बुद्धि परीक्षणों को प्रशासन की दृष्टि से दो भागों में बाँटा जा सकता है, जो इस प्रकार है –

1. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण 

2. सामूहिक बुद्धि परीक्षण

कुछ बुद्धि परीक्षण में भाषा के द्वारा समस्याएँ प्रस्तुत की जाती हैं तथा परीक्षार्थी को भाषा के द्वारा ही उत्तर देने होते हैं, जबकि कुछ अन्य परीक्षणों में चित्रों या स्थूल सामग्री की सहायता से समस्याएँ प्रस्तुत की जाती हैं जिनमें परीक्षार्थी को कुछ करके उत्तर देने होते हैं, 

अतः बुद्धि परीक्षण को प्रस्तुतीकरण की दृष्टि से दो भागों में बाँटा जा सकता है, जो निम्न प्रकार है –

1. शाब्दिक बुद्धि परीक्षण

2. अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण।

उपर्युक्त दोनों वर्गों के मिश्रण से बुद्धि परीक्षणों को निम्नलिखित चार वर्गों में रखा जा सकता है 

1. वैयक्तिक शाब्दिक बुद्धि-परीक्षण

2. वैयक्तिक अशाब्दिक बुद्धि-परीक्षण

3. सामूहिक शाब्दिक बुद्धि-परीक्षण

4. सामूहिक अशाब्दिक बुद्धि-परीक्षण

1. वैयक्तिक शाब्दिक बुद्धि-परीक्षण

वैयक्तिक शाब्दिक बुद्धि-परीक्षण में बुद्धि परीक्षा के लिए एक समय में एक व्यक्ति को लेते हैं और उसमें व्यक्ति को वह भाषा जानना आवश्यक है जो परीक्षण में प्रयोग में लायी गयी है.

बिने-साइमन बुद्धि स्केल (Binet-Simon Intelligence Scale) बिने-साइमन स्केल में मानसिक आयु के आधार पर बुद्धि-परीक्षण किया जाता है। मानसिक आयु ज्ञात करने के लिए प्रत्येक वर्ष के लिए कुछ प्रश्न दिए गये है जो बालक जिस आयु के लिए निर्धारित प्रश्नों के सभी उत्तर सही-सही दे देता है, उसकी मानसिक आयु वही मान ली जाती है।

उदाहरण – यदि 5 वर्ष का बालक 4 वर्ष के लिए निर्धारित प्रश्नों के सही उत्तर दे पाता है तो उसकी मानसिक आयु 4 वर्ष मानी जायेगी, किन्तु यदि वह 7 वर्ष के लिए निर्धारित सभी प्रश्नों के उत्तर सही-सही दे देता है तो उसकी मानसिक आयु 7 वर्ष मानी जायेगी। वास्तविक आयु की तुलना में मानसिक आयु जितनी अधिक होगी, बालक की बुद्धि उतनी ही अधिक मानी जायेगी। 

इस प्रकार बुद्धि के माप को बुद्धिलब्धि (Intelligence Quotient) के रूप में व्यक्त किया जाता है। बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण 3-15 वर्ष के बालक / बालिका के लिए तैयार किया गया था। 1911 के स्केल में कुल प्रश्नों की संख्या 54 थी, जिनमें 5-5 प्रश्न प्रत्येक आयु के बालक/बालिका के लिए निर्धारित किए गए थे, किन्तु 5 प्रश्न 4 वर्ष की आयु के लिए तथा 11 एवं 13 वर्ष आयु के लिए कोई प्रश्न निर्धारित नहीं थे।

तीन वर्ष की आयु के लिए निर्धारित प्रश्न निम्नलिखित है –

(i) अपना नाम बताना।

(ii) अपने मुँह, नाक और कान को उँगली से बताना। 

(iii) किसी चित्र को देखकर उसकी मुख्य बातें बताना। 

(iv) छः शब्दों के सरल वाक्य को दोहराना । 

(v) दो अंकों को एक बार सुनकर दोहराना जैसे 2-3, 4-6, 79 आदि।

बाद के अध्ययनों में पाया गया है कि बिने-साइमन स्केल में अनेक दोष विद्यमान हैं। एक प्रमुख दोष यह था कि यदि किसी आयु का बालक अपनी आयु के लिए निर्धारित प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाता तो उसकी मानसिक आयु जीवन आयु से कम मानी जाती थी।

2. वैयक्तिक अशाब्दिक बुद्धि-परीक्षण

वैयक्तिक अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण उनके लिए होते हैं, जिन्हें भाषा सम्बन्धी ज्ञान नहीं होता है। भाषा के स्थान पर चित्रों, वस्तुओं तथा आकृतियों आदि का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार के बुद्धि परीक्षणों को क्रियात्मक बुद्धि-परीक्षण भी कहते हैं क्योंकि इनमें उत्तर क्रियात्मक रूप में दिए जाते हैं, प्रमुख अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण निम्नलिखित है –

(i) चित्रांकन परीक्षण (Picture Drawing Test)

यह परीक्षण 4 से 10 साल तक आयु के बालकों के लिए उपयुक्त है। इसमें बालक को एक कागज और पेन्सिल दी जाती है और उससे कहा जाता है कि गाय का चित्र खीचो.

(ii) चित्रपूर्ति परीक्षण (Picture Completing Test)

इसमें बालक के सामने एक चित्र के वर्गाकार टुकड़े काटकर दिए जाते हैं और कहा जाता है। कि एकत्र करके पूरा चित्र बनाओ

(iii) भुलभुलैया परीक्षण (Maze Test)

इसमें बालक को एक ऐसा रेखाचित्र दिया जाता है जिसमें अनेक रास्ते बने होते हैं जो बालक एक सिर से दूसरे सिरे तक बिना रुकावट के पहुँच जाता है, उसे बुद्धिमान समझा जाता है। 

3. सामूहिक शाब्दिक बुद्धि-परीक्षण

इसमें भाषा का प्रयोग ही अधिक होता है। शाब्दिक परीक्षणों में शब्दों का और संख्याओं का अधिक प्रयोग किया जाता है। इन परीक्षणों से बालकों की शाब्दिक योग्यता का मापन होता है। शाब्दिक बुद्धि परीक्षणों के प्रश्नों के उदाहरण निम्नलिखित हैं 

निम्नलिखित में जो शब्द अन्य शब्दों से भिन्न है, उसके नीचे रेखा खींचिए – कुर्सी, मेज, अलमारी, पलंग, कमीज ।

रात का उल्टा है – प्रजा, राजा, शाम, रात, दिन। 

1, 8, 12, 16, 20― इन संख्याओं के क्रम के अनुसार आगे की संख्या लिखो

सामूहिक शाब्दिक बुद्धि परीक्षणों का विकास प्रथम विश्वयुद्ध के समय हुआ क्योंकि बड़ी शीघ्रता में बड़ी संख्या में सैनिकों का चयन करना था। इस वर्ग में मुख्य रूप से आने वाले परीक्षण निम्नलिखित हैं –

(i) आर्मी अल्फा टेस्ट (Army Alpha Test)

यह परीक्षण अंग्रेजी भाषा जानने वालों के लिए है। इस परीक्षण का निर्माण अमेरिका में प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918) के समय सैनिकों एवं कर्मचारियों का चुनाव करने के लिए किया गया था।

(ii) सेना सामान्य वर्गीकरण परीक्षण (Army General Classification Test)

द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिका में सेना के विभिन्न विभागों में सैनिकों का वर्गीकरण करने के लिए सेना सामान्य वर्गीकरण परीक्षण तैयार किया गया था। इस परीक्षण में तीन प्रकार की समस्याओं से सम्बन्धित बातों का समाधान करना पड़ता था— शब्दावली, गणित तथा वस्तु गणना। इस परीक्षण का प्रयोग लगभग 12 लाख सैनिकों के बुद्धि परीक्षण लेने के लिए किया गया था।

4. सामूहिक अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण

इसमें भाषा का प्रयोग नहीं किया जाता है। इस परीक्षण में किसी जानवर का चित्र बनवाया जाता है या किसी दिए हुए चित्र में गलती बतायी जाती है। इस प्रकार के बुद्धि परीक्षण के निर्माण में टरमैन, थामसन, बेलार्ड तथा केटल आदि मनोवैज्ञानिकों ने पर्याप्त योगदान दिया। बिना भाषा का प्रयोग किए इस प्रकार के परीक्षण अनेक

व्यक्तियों पर एक साथ लागू किया गए। इस वर्ग के उल्लेखनीय परीक्षण निम्नलिखित हैं –

आर्मी बीटा टेस्ट (Army Beta Test)

आर्मी बीटा टेस्ट का निर्माण भी अमेरिका में प्रथम विश्वयुद्ध के समय में किया गया था। सेना में विभिन्न पदों और विभागों में कार्य करने वाले व्यक्तियों का चयन ऐसे लोगों में से करना था जो कि अशिक्षित थे या अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नहीं रखते थे। इसमें वस्तुओं की गणना, अंकित चित्र से सम्बन्धित विभिन्न वस्तुओं में एक-दूसरे से सम्बन्ध बताना, चित्र की उन वस्तुओं में चिह्न लगाना, जिनका किसी से किसी प्रकार का सम्बन्ध नहीं है आदि प्रकार की समस्या समाधान के आधार पर बुद्धि का मापन किया जाता है।
उपर्युक्त परीक्षणों के अतिरिक्त सामूहिक अशाब्दिक बुद्धि-परीक्षणों में कैटल का संस्कृति स्वतन्त्र परीक्षण तथा पीजन का अशाब्दिक परीक्षण का भी महत्वपूर्ण स्थान है, जिनमें विभिन्न प्रकार की आकृतियाँ होती हैं और इन आकृतियों में असमानताएँ दिखानी पड़ती हैं।

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