
बहुस्तरीय शिक्षण विधि (Multi-Step Teaching)
बहुस्तरीय शिक्षण विधि: अधिकतर प्राथमिक विद्यालयों में यह देखा जाता है कि एक से पाँच तक कक्षाएँ चलायी जाती हैं लेकिन वहाँ अध्यापकों की संख्या एक या दो से अधिक नहीं होती है। ऐसी स्थिति में शिक्षण हो पाना सम्भव नहीं है। इस समस्या के समाधान के लिए बहुश्रेणी या बहुस्तरीय शिक्षण विधि का जन्म हुआ है।
बहुस्तरीय शिक्षण विधि का अर्थ (Meaning of Multi-step Teaching)
बहुस्तरीय शिक्षण विधि का अभिप्राय एक ऐसे शिक्षण से है जिसमें शिक्षक दो या दो से अधिक कक्षाओं के छात्राओं को एक साथ बैठाकर उनकी वैयक्तिक रुचियों (Individual Interests), भिन्नता, उपलब्धि, अभिरुचि, मानसिक परिपक्वता को ध्यान में रखकर शिक्षण कार्य करता है। जिसके परिणामस्वरूप सभी छात्र अध्ययनरत रहते हैं तथा अनुशासन बना रहता है।
बहुस्तरीय शिक्षण विधि का उद्देश्य (Aims of Multistep Method)
बहुश्रेणी शिक्षण विधि के निम्नलिखित उद्देश्य हैं –
- छात्रों के समय का सदुपयोग करना।
- छात्रों को उपयुक्त विधि से शिक्षण कार्य करना।
- शिक्षकों के अभाव में उत्पन्न समस्याओं का समाधान करना।
- विद्यालय परिसर में अनुशासन बनाना।
- छात्रों का विकास रुचि एवं भिन्नताओं के आधार पर करना।
- छात्रों में सृजनात्मक शक्ति का विकास करना।
- शिक्षा-शिक्षण-प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाना।
- छात्रों को लोक संस्कृति गीत, नाटक, लोकगीत, कविता पाठ आदि से परिचित करना।
- छात्रों का मानसिक विकास स्वाभाविक रूप से करना।
- छात्रों को पाठ्यक्रम में निर्देशित दक्षताओं में प्रवीण करना।
बहुस्तरीय शिक्षण विधि में ध्यान रखने योग्य बातें
बहुश्रेणी शिक्षण विधि का प्रयोग बड़ी सावधानी व सूझ-बूझ से करना चाहिए इसका प्रयोग करते समय निम्न बात का ध्यान रखना चाहिए-
- बहुस्तरीय शिक्षण व्यवस्था में सबसे पहला प्रयोग छात्रों के बैठने की उचित व्यवस्था से है। क्योंकि प्राथमिक स्तर पर विद्यालयों में एक या दो कमरे होते हैं। तथा इनके सामने बरामदा भी पाया जाता है। इसी में एक से पाँच तक की कक्षाओं को लगाया जाता है। छात्रों को इस प्रकार बैठाना चाहिए कि वे एक दूसरी कक्षा को परेशान न करें तथा अध्यापक भी उन सभी छात्रों को आसानी से देख सके
- समय सारिणी बनाते समय कमरे तथा शिक्षकों की संख्या को ध्यान में रखकर ही संरचना करनी चाहिए। क्योंकि इन पर ध्यान न देने पर हास्यपरक समय सारिणी बनेगी। इसमें शिक्षक को चाहिए कि वह छात्रों की पाठ्यवस्तु एवं सहायक क्रियाओं के अतिरित्त पर्यावरण आदि का भी ध्यान दे। जिससे छात्रों को आसानी से पढ़ाया जा सके।
- बहुस्तरीय शिक्षण विधि में अध्यापक छात्रों की रुचियों, भिन्नताओं को ध्यान में रखकर ही शिक्षण करे।
- यदि विद्यालय प्रांगण में वृक्ष है तो वहाँ पर शिक्षण कार्य किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि वहाँ ऐसी वस्तु या वातावरण न हो जिससे छात्रों के शिक्षण में बाधा उत्पन्न हो।
- बहुस्तरीय शिक्षण विधि में सबसे बड़ी ध्यान रखने योग्य बात यह है कि मॉनीटर का चुनाव उपयुक्त एवं कर्मठ कार्यकर्ता को ही चुनना चाहिए, जिससे शिक्षण उपयुक्त हो।
बहुस्तरीय शिक्षण विधि की नीतियाँ (Strategies of Multi-Step Teaching Method)
बहुस्तरीय शिक्षण विधि की नीतियों को बनाना इसलिए आवश्यक है जिससे छात्रों में शिक्षा उद्देश्य, पाठ्य-वस्तु तथा पूर्व कक्षा-स्तर के अनुरूप निर्धारित गुणों का विकास आसानी से हो सके। इन नीतियों का निर्माण करते समय तथा इनका व्यावहारिक रूप में प्रयोग के समय छात्रों की मनोवैज्ञानिक भिन्नताओं परिस्थितियों, रुचियों आदि का ध्यान रखना आवश्यक होता है।
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