
बहुकक्षा शिक्षण (Multiclass Teaching)
बहुकक्षा शिक्षण: वर्तमान समय में बढ़ती जनसंख्या और घटते शिक्षण साधनों के परिणामस्वरूप बहुकक्षा शिक्षण पद्धति का जन्म हुआ है।
बहुकक्षा शिक्षण का अर्थ (Multiclass Teaching)
बहुकक्षा शिक्षण पद्धति एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें एक अध्यापक एक कक्षा को न पढ़ाकर कई कक्षाओं को एक साथ देखता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित विद्यालयों में आज भी शिक्षकों की स्थिति अति दयनीय है।अधिकतर प्राथमिक विद्यालय मे एक या दो शिक्षक होते है। सन् 1986 में शैक्षिक सर्वेक्षण के अनुसार 28% प्राथमिक विद्यालय एक शिक्षक तथा 3296 प्रतिशत विद्यालय दो अध्यापकों कि नियुक्ति की गयी है। आज भी स्थिति उसी प्रकार की है। ऐसी स्थिति में शिक्षा का प्रसार एवं शिक्षा में गुणात्मक सुधार हेतु नवीन शिक्षण पद्धति ‘बहुकक्षा शिक्षण’ का विकास हुआ।
बहुकक्षा शिक्षण पद्धति में अध्यापक के सामने समस्या बनी रहती है कि एक या दो ही अध्यापक प्राथमिक विद्यालय में लग रही पाँच कक्षाओं को देखते हैं जब इनमें छात्रों की संख्या अधिक हो जाती है तो छात्र व अध्यापक में सम्पर्क हो पाना भी सम्भव नहीं होता है।
विद्यालय में अनुशासन सम्बन्धी समस्या बनी रहती है। एक अनार और सौ बीमार वाली कहावत दिखयी देती है। और उन विद्यालयों की स्थिति अधिक दयनीय है जहाँ एक ही शिक्षक है। क्योंकि आवश्यक कार्यवश यदि अध्यापक आकस्मिक अवकाश लेता है तो विद्यालय बन्द करना पड़ता है। छात्रों की छुट्टी कर दी जाती है।
बहुकक्षा शिक्षण की समस्याएँ
बहुकक्षा शिक्षण में छात्र एवं अध्यापक के सामने अनेक समस्या आती हैं उनमें से कुछ इस प्रकार है
- बहुकक्षा शिक्षण में अध्यापक सभी विषयों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं।
- कक्षा कक्ष में अनुशासनहीनता बनी रहती है
- अध्यापक को मॉनीटर पर निर्भर रहना पड़ता है।
- एक अध्यापक विद्यालयों में होने से यदि अध्यापक आकस्मिक अवकाश लेता है तो विद्यालय की छुट्टी करनी पडती है।
- अध्यापक कक्षा में उपस्थित सभी छात्रों पर ध्यान नहीं दे पाते।
- अध्यापकों को बहुकक्षा शिक्षण हेतु प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है।
- अध्यापक पर कार्य का भार बढ़ जाता है।
- कक्षा-कक्ष में सम्प्रेषण प्रक्रिया स्थापित नहीं होती है।
- अध्यापक छात्रों को समझाने में सफल नहीं हो पाता है।
- विद्यालय में कक्षा-कक्ष एवं शिक्षा उपकरणों का अभाव।
बहुकक्षा शिक्षण की समस्याओं का समाधान
बहुकक्षा शिक्षण में आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए निम्न सुझाव दिये जा सकते हैं –
- शिक्षक द्वारा शिक्षण से पूर्व ही योजना बना लेनी चाहिए।
- नैतिक शिक्षा तथा शारीरिक शिक्षा के लिए सभी छात्रों को एक साथ एकत्रित किया जाय।
- अध्यापक की अनुपस्थिति में कक्षा को देखने हेतु मॉनीटर का चुनाव करें।
- छात्रों को स्वयं कार्य करने के लिए देना चाहिए तथा मॉनीटर कक्षा का निरीक्षण करे।
- शिक्षक शिक्षण योजना ऐसी बनायें जिससे प्रत्येक कक्षा, वर्ग एवं छात्र शिक्षक को दिखायी दे
- वर्ग बनाते समय मन्दबुद्धि एवं प्रतिभाशाली छात्रों का संयोग हो।
- विद्यालय में कुछ ऐसे प्रोजेक्ट हों, जिससे छात्र स्वयं कार्य में लगे रहें
- छात्रों को कक्षा में पढ़ने एवं लिखने का समय प्रदान किया जाय।
- शिक्षक छात्रों को सांस्कृतिक आयोजन में भाग लेने के लिए प्रेरित करें।
- शिक्षक छात्रों को स्थिति का ज्ञान कराकर स्वयं की जिम्मेदारी का अहसास दिलायें।
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