सहभाग शिक्षण का अर्थ, उद्देश्य, विशेषताएँ । Participation Teaching

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सहभाग शिक्षण का अर्थ, उद्देश्य, विशेषताएँ । Participation Teaching

सहभाग शिक्षण (Participation Teaching)

सहभाग शिक्षण का अर्थ

सहभाग शिक्षण से अभिप्राय शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षक एवं शिक्षार्थी की सहभागिता से है। शिक्षण की प्रक्रिया में शिक्षक एवं शिक्षार्थी दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं। शिक्षण प्रक्रिया की सफलता के लिए दोनों की सहभागिता आवश्यक है। एक-दूसरे के बिना शिक्षण प्रक्रिया अधूरी है। 

कक्षा में शिक्षण कार्य करते समय शिक्षक कई क्रियाएँ करता है। वह शिक्षार्थियों से प्रश्न पूछता है, श्यामपट पर लिखता है, पृष्ठपोषण प्रदान करता है। उनका सहयोग प्राप्त करता है। शिक्षक प्रश्न पूछता है, शिक्षार्थी उत्तर देता है, शिक्षक निर्देश देता है, शिक्षार्थी पालन करता है। दोनों ही एक-दूसरे का सहयोग करते हैं।

प्रो. दुबे श्रीकृष्ण के अनुसार, “सहभागी शिक्षण का आशय उस शिक्षण प्रक्रिया से है जिसमें शिक्षक और शिक्षार्थी की पूर्ण सहभागिता निश्चित होती है तथा सहभागिता द्वारा ही शिक्षण प्रक्रिया प्रभावशाली एवं उद्देश्यपूर्ण बनती है।”

सहभागी शिक्षण में शिक्षक एवं शिक्षार्थी दोनों का ही महत्त्वपूर्ण स्थान है। शिक्षण प्रक्रिया को सरल, प्रभावी एवं उद्देश्यपूर्ण बनाने के लिए दोनों की सहभागिता आवश्यक है।

सहभागी शिक्षण के उद्देश्य (Aims of Participation Teaching)

सहभागी शिक्षण के निम्नलिखित उद्देश्य हैं—

  • इसमें शिक्षक एवं शिक्षार्थी दोनों को क्रियाशील स्थिति में रखना।
  • शिक्षार्थियों को स्थायी ज्ञान प्राप्त कराना।
  • सहभागी शिक्षण के माध्यम से कक्षा के नीरस वातावरण को दूर कर उसे आनन्ददायक बनाना। 
  • शिक्षार्थियों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से क्रियाशील रखना।
  • शिक्षार्थियों को उनकी महत्त्वपूर्ण स्थिति का ज्ञान कराना।
  • शिक्षार्थियों का सर्वांगीण विकास करना।
  • विषय-वस्तु को सरल एवं बोधगम्य रूप में प्रस्तुत करना। 
  • कक्षा-कक्ष में सौहार्द्रपूर्ण वातावरण बनाना
  • शिक्षार्थियों में सहयोग एवं सहकारिता की भावना उत्पन्न करना।
  • शिक्षार्थियों में विषय-वस्तु के लगाव एवं शिक्षण में रुचि उत्पन्न करना।

 सहगामी शिक्षण की विशिषताएँ (Characteristics of Participation Teaching)

सहगामी शिक्षण की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –

  • सहभागी शिक्षण प्रक्रिया से शिक्षण के समस्त पक्ष लाभान्वित होते हैं।
  • सहभागी शिक्षण में शिक्षक एवं शिक्षार्थी दोनों की सहभागिता अनिवार्य है।
  • इस प्रक्रिया में शिक्षार्थी की सहभागिता होने से वह क्रियाशील बना रहता है 
  • सहभागिता शिक्षण में शिक्षार्थी का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है।
  • वर्तमान समय में यह प्रक्रिया श्रेष्ठ शिक्षण प्रक्रियाओं में से एक प्रक्रिया है।
  • यह क्रिया सहयोग एवं सहभागिता पर आधारित है।
  • इस प्रक्रिया में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया प्रभावशाली एवं बोधगम्य रूप में प्रस्तुत की जा सकती है।

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