पुस्तपालन और लेखाकर्म में सम्बन्ध (Relation between Book-keeping and Accountancy)

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पुस्तपालन और लेखाकर्म में सम्बन्ध

Relation between Book-keeping and Accountancy: आज हम देखेंगे पुस्तपालन और लेखाकर्म में क्या सम्बन्ध है (Relation between Book keeping and Accountancy) इसके पहले के पोस्ट में हम लोगो ने पुस्तपालन या बहीखाता (Book-keeping) के अर्थ, परिभाषा, विशेषताए, विभिन्न प्रणालियाँ और लेखाशास्त्र या लेखाकर्म (Accountancy) के अर्थ, परिभाषा, मूल तत्त्व के बारे में बातचीत कर चुके है, पुस्तपालन और लेखाकर्म की विस्तृत जानकारी के लिए आप इस्पे क्लिक करके पढ़ सकते है.

पुस्तपालन और लेखाकर्म में सम्बन्ध

पुस्तपालन में व्यावसायिक सौदों एवं घटनाओं का मौद्रिक रूप में प्रारम्भिक हिसाब-किताब रखा जाता है जबकि लेखाकर्म में इसे विभिन्न उपयोगों में विभक्त किया जाता है। इस प्रकार पुस्तपालन लेखाकर्म का आधार होता है। एन्थोनी के अनुसार – पुस्तपालन लेखाकर्म में शामिल होता है। पुस्तपालन (बहीखाता) वस्तुतः लेखाकर्म का एक अंग है। लेखाकर्म में केवल व्यावसायिक हिसाब-किताब रखना ही शामिल नहीं होता बल्कि इसमें व्यावसायिक लेन-देनों का सारांश तैयार करना, उनका विश्लेषण करना तथा व्यवसाय पर उनके प्रभाव ज्ञात करना आदि कार्य भी शामिल होते हैं।

पुस्तपालन से हमें यह पता चलता है कि लेखे कैसे करने है जबकि लेखाकर्म से हमे उन सिद्धान्तों का ज्ञान होता है जिनके आधार पर हमें पुस्तपालन करना है। अत: एक अच्छे पुस्तपालक के लिए लेखाकर्म के सिद्धान्तों का सही ढंग से पालन करना आवश्यक है, साथ ही हम लेखाकर्म कार्य तभी कर पायेंगे जब पुस्तपालन का कार्य ठीक ढंग से किया गया होगा। संक्षेप में, पुस्तपालन के बिना लेखाकर्म नहीं हो सकता और लेखाकर्म के बिना पुस्तपालन का कोई व्यावहारिक महत्त्व नहीं होता।
आधुनिक लेखाशास्त्रियों के अनुसार पुस्तपालन लिपिक (clerk) या लेखे की मशीनों का कार्य है जबकि लेखाकर्म लेखापाल (accountant) का कार्य है। आधुनिक युग मे लेखापाल का कार्य केवल वित्तीय ही नहीं रह गया है बल्कि उसे वित्तीय विवरण (Financial Statements) तैयार करते समय लागत कर और कर सम्बन्धी आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखना होता है। इसलिए लेखों का विश्लेषण करने के लिए विशेष योग्यता प्राप्त व्यक्तियों को रखा जाता है जो लेखाकर्म का कार्य करते हैं। जब व्यवसाय छोटे पैमाने पर किया जाता है तो पुस्तपालन और लेखाकर्म (लेखाशास्त्र) में अन्तर करना कठिन हो जाता है क्योंकि एक ही व्यक्ति हिसाब-किताब सम्बन्धी कार्यों को करता है। किन्तु विशाल व्यावसायिक इकाइयों में व्यावसायिक लेन-देनों के लेखो सम्बन्धी कार्यों को दो अलग-अलग स्तर पर पूरा किया जाता है।

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