पाठ में शिक्षण कौशलों का समन्वय – अर्थ परिभाषा उद्देश्य

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पाठ में शिक्षण कौशलों का समन्वय
पाठ में शिक्षण कौशलों का समन्वय

पाठ में शिक्षण कौशलों का समन्वय

सूक्ष्म शिक्षण के माध्यम से छात्राध्यापक को प्रशिक्षण में एक-एक कौशल का विकास किया जाता है इन कौशलों का विकास सूक्ष्म शिक्षण द्वारा किया जाता है अर्थात् एक पाठयोजना एक ही शिक्षण कौशल से सम्बन्धित होती है तथा इसके शिक्षण का समय भी 6 या 8 मिनट तक होता है और छात्राध्यापक शिक्षण के समय एक ही कौशल का प्रयोग करता है। लेकिन वृहद शिक्षण (Micro Teaching) में शिक्षण करते समय एक कौशल का प्रयोग न करके आवश्यकतानुसार कई कौशलों का प्रयोग करते हैं। इसी प्रक्रिया को शिक्षण कौशल समन्वय के नाम से जाना जाता है।

शिक्षण कौशलों के समन्वय का अर्थ

किसी भी पाठ के शिक्षण में कौशलों के समन्वय का अभिप्राय शिक्षण पाठयोजना समस्त कौशलों को सम्मिलित करना नहीं है। बल्कि आवश्यकतानुसार अथवा पाठ की विषयवस्तु और शिक्षण बिन्दु की माँग के अनुसार कौशलों का प्रयोग करना है क्योंकि कौशलों की संख्या अधिक है और सभी कौशलों का प्रयोग करना एक साथ करना सम्भव नहीं है। इसलिए कौशलों का विभाजन किया है जिससे शिक्षक आसानी से शिक्षण में विषय-वस्तु के अनुरूप कौशलों का प्रयोग कर सके।

शिक्षण कौशल के समन्वय की परिभाषा

शिक्षण में समन्वयता को परिभाषित कई विद्वानों ने किया है उनमें से कुछ परिभाषा निम्नवत है-

बालमुकुन्द शाह के अनुसार समन्वय को परिभाषित करते हुए लिखा है, “कौशलों का समन्वय शिक्षण में बालकों को उनके अनुभवों के स्तर के अनुसार प्रयोग करने के अतिरिक्त कुछ नहीं है।” 

उमविल के अनुसार डमविल ने समन्वय के विषय में लिखा है, “एक शिक्षण कौशल को दूसरे शिक्षण कौशल से समायोजित या प्रयोग को समन्वय कहते हैं।”

उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि शिक्षण कौशलों का समन्वय शिक्षक की उस योग्यता का द्योतक है जिसके अनुसार शिक्षण कौशलों का प्रयोग शिक्षण में करता है तथा शिक्षण को प्रभावी बनाता है।

शिक्षण के समन्वय का उद्देश्य

शिक्षण कौशलों के समन्वय एकीकृत के उद्देश्य निम्नलिखित हैं- 

  • उत्तम अधिगम हेतु वृहद में एक से अधिक शिक्षण कौशलों का प्रयोग करने में दक्ष बनाना।
  • शिक्षण के सामान्य एवं विशिष्ट उद्देश्यों की पूर्ति हेतु प्रयोग करना। 
  • सूक्ष्म शिक्षण में अर्जित कौशलों का प्रयोग वृहद शिक्षण में करना।
  • उत्तम शिक्षण हेतु समन्वय करना।
  • छात्रों के स्तर के अनुरूप कौशलों का प्रयोग करने में कुशलता प्रदान करना। 

शिक्षण कौशलों का समन्वय करते समय ध्यान देने योग्य बातें-पाठ में शिक्षण कौशलों का समन्वय करते समय एक कुशल अध्यापक को अग्र बातें ध्यान में रखनी चाहिए –

  • विशिष्ट एवं सामान्य उद्देश्यों की पूर्ण जानकारी।
  • पाठयोजना के अनुरूप शिक्षण सामग्री का प्रयोग। 
  • छात्रों के स्तर के अनुसार तथा पाठ्यवस्तु के अनुरूप शिक्षण कौशलों का प्रयोग।
  • कक्षा वातावरण के अनुसार शिक्षण कौशल का प्रयोग।
  • अधिगम परिस्थितियों की जानकारी होना।
  • कौन-से शिक्षण का प्रयोग कब करना है इसकी जानकारी होना।
  • छात्रों की मनोवैज्ञानिक स्थिति को समझने का प्रयास करना।

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