शिक्षण कौशल का अर्थ, परिभाषा, वर्गीकरण

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शिक्षण कौशल: एक शिक्षक कक्षा में जाता है और शिक्षण कार्य करता है इस समय वह जो भी व्यवहार करता है उस शिक्षक का वह व्यवहार ही शिक्षण कौशल कहलाता है। 

शिक्षण कौशल

शिक्षण कौशल
शिक्षण कौशल

शिक्षण कौशल का अर्थ

एक शिक्षण कौशल समान व्यवहारों का समूह है तथा विभिन्न शिक्षण कौशल मिलकर एक शिक्षण प्रक्रिया का निर्माण करते हैं अर्थात् शिक्षण कई कौशलों से मिलकर बना है। शिक्षण कौशल ही किसी शिक्षक के उत्तम शिक्षण और अनुपयुक्त शिक्षण का निर्माण करते हैं। इनके माध्यम से ही अधिगम की प्रक्रिया प्रभावित होनी होती है। 

जब किसी शिक्षक को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है अर्थात् जब छात्राध्यापक को प्रशिक्षण (Training) के समय उसमें अनेकों प्रकार के कौशलों का विकास करके उसके व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है जिससे उसके द्वारा कक्षा-कक्ष में अध्ययन के समय किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना करने में सक्षम हो।

कौशल की परिभाषा

कौशलों के विषय में शिक्षाशास्त्रियों की अलग धारणा है कि शिक्षण कौशल कौन-कौन से होने चाहिए तथा उनका प्रयोग कैसे और कब करना चाहिए। इनमें से कुछ शिक्षाशास्त्रियों के विचार निम्नवत है-

क्लार्क – “शिक्षण कौशल उन क्रियाओं पर आधारित है जो छात्र व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए नियोजित एवं क्रियान्वित किया जाये”।

कामीसार के अनुसार – “शिक्षण कौशल वह हैं जो शिक्षण में विभिन्न तथा विशिष्ट क्रियाएँ सम्मिलित होती हैं जैसे प्रारम्भ, प्रदर्शन, आवेदन, अन्दाज करना, पुष्टि करना, तुलना, व्याख्या, प्रश्न आदि।”

शिक्षण कौशलों का वर्गीकरण

उपरोक्त विवरण के उपरान्त यह प्रश्न उठता है कि शिक्षण के प्रमुख कौन-कौन से कौशल होने चाहिए। इसके विषय में विद्वानों ने अपने अलग-अलग मत प्रस्तुत किये हैं। लेकिन इनकी विवेचना करने पर यह पाना सम्भव नहीं हो पा रहा है कि कुल कौशल कितने होते हैं इनमें कुछ विद्वानों के विचार निम्नवत् हैं-

एन. एल. दोसाज

एन. एल. दोसाज ने अपनी पुस्तक में कौशलों पर प्रकाश डालते हुए उन्हें 15 भागों में विभाजित किया है, जो निम्नवत् हैं-

  1. प्रश्न पूछना
  2. प्रश्न पूछना
  3. उत्तरों के साथ व्यवहार करना
  4. उद्दीपकों में परिवर्तन
  5. श्यामपट् का उपयोग
  6. शिक्षण सामग्री तथा सहायक उपकरणों का प्रयोग 
  7. अशाब्दिक संकेत
  8. पुनर्वलन
  9. उदाहरणों का उपयोग
  10. व्याख्यान 
  11. स्पष्टीकरण
  12. नियोजित दुहराना
  13. कक्षा प्रबन्ध का कौशल
  14. समापन का कौशल
  15. छात्रों की सहभागिता बढ़ाने का कौशल

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान परिषद्

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान परिषद् द्वारा वर्गीकरण- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान परिषद् ने सन् 1979 में शिक्षक-शिक्षा-पाठ्यक्रम पर कार्य किया जिसमे विश्लेषण के उपरान्त निम्नलिखित कौशल बताये, जो इस प्रकार है-

  • मानसिक कौशल
  • क्रियात्मक कौशल
  • प्रश्न कौशल
  • लघु वर्ग एवं व्यक्तिगत अनुदेशन कौशल
  • छात्र विकास चिन्तन कौशल
  • कक्षा कक्ष प्रबन्ध एवं अनुशासन कौशल
  • मूल्यांकन कौशल

एलेन एवं रेयान

एलेन एवं रेयान के अनुसार वर्गीकरण ऐलन एवं रेयान ने सन् 1969 में शिक्षण अभ्यास का अध्ययन करके शिक्षण कौशलों को 14 भागों में विभाजित किया है, जो निम्नवत् हैं-

  1. उद्दीपन परिवर्तन
  2. प्रस्तावना
  3. मौन एवं अशाब्दिक संकेत
  4. छात्र सहभाग को पुनर्बल देना
  5. प्रश्न प्रवाह
  6. अनुशीलन प्रश्न
  7. उच्च स्तरीय प्रश्न
  8. अपसारी प्रश्न
  9. अबन्धात्मक व्यवहार प्रश्न
  10. स्पष्टीकरण एवं उदाहरण का प्रयोग 
  11. अभिव्यक्ति पूर्णता
  12. व्याख्यान
  13. समापन
  14. नियोजित पुनरावृत्ति

डॉ. बी. के. पासी

डॉ. बी. के. पासी के अनुसार डॉ. बी. के. पासी ने सन 1976 में अपनी पुस्तक (Becoming better teacher: A micro teaching approach) में शिक्षण कौशलों की समीक्षा करते हुए 13 भागों में विभाजित किया है-

  1. अनुदेशीय उद्देश्य लेखन
  2. पाठ प्रस्तावित करना
  3. उद्दीपन परिवर्तन
  4. दृष्टान्त
  5. व्याख्यान
  6. प्रश्न प्रवाह
  7. अनुशीलन प्रश्न
  8. मौन तथा अशाब्दिक संकेत
  9. पुनर्बलन
  10. छात्र सहभाग में वृद्धि
  11. श्यामपट्ट प्रयोग
  12. अवधानात्मक व्यवहार पहचानना
  13. समापन।

उपरोक्त विवरण में प्राप्त होने वाले कौशलों का विश्लेषणात्मक अध्ययन करने के उपरान्त निम्नलिखित शिक्षण कौशल देखने को मिलते हैं जिनके माध्यम से उच्च शिक्षा प्रक्रिया स्थापित हो सकती है, वे शिक्षण कौशल निम्नवत हैं-

  • शिक्षण उद्देश्य लेखन (Writing of Teaching Objectives)
  • विन्यास प्रेरण (Set Induction)
  • दृष्टान्त कला (Illustrating with Examples)
  • मौन एवं अशाब्दिक संकेत (Silence and Nonverbal Paints)
  • पाठ गीत (Pacing Lesson)
  • दृश्य श्रव्य साधनों का प्रयोग (Using of Audio Video Aids)
  • प्रश्न प्रवाहता (Fluency in Questioning)
  • उद्दीपन परिवर्तन (Stimulus Variation)
  • श्यामपट्ट का प्रयोग (Using of Black-board)
  • व्याख्या कौशल (Skill of Explaining)
  • खोजपूर्ण प्रश्न (Probing Questioning)
  • पुनर्बलन (Reinforcement)
  • व्याख्या (Lecturing)
  • छात्र सम्भाविता विस्तार (Increasing Pupil Participation)
  • छात्र व्यवहार अभिज्ञान (Recognising attending Behaviour of Students)
  • उच्च स्तरीय प्रश्न (Higher Order Question)
  • विभक्ति प्रश्न (Divergent Question )
  • पाठ समापन (Achieving Closure)
  • पुनरावृत्ति (Repetition)
  • कक्षा प्रबन्ध (Class Management)
  • सम्प्रेषणपूर्णता (Compliments of Communication)
  • गृहकार्य (Home Assignment)
  • काठिन्य निवारण (Word Meaning)
  • आदर्श पाठ (Model Reading)
  • उच्चारण करना (Pronunciation)

शिक्षण कौशलों का विकास-उपरोक्त विवरण से हम यह स्पष्ट कर चुके हैं छात्राध्यापक में कौशलों का होना क्यों आवश्यक है और उसमें कौशलों का विकास किया जाए।

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