किशोरावस्था: जीवन का सबसे कठिन काल, अर्थ, परिभाषाएँ, विशेषताएँ, शिक्षा में उपयोगिता

किशोरावस्था, जीवन का सबसे कठिन और नाजुक काल है। इस अवस्था में बालक का झुकाव जिस ओर हो जाता है, उसी दिशा में वह जीवन में आगे बढ़ता है।
किशोरावस्था, जीवन का सबसे कठिन और नाजुक काल है। इस अवस्था में बालक का झुकाव जिस ओर हो जाता है, उसी दिशा में वह जीवन में आगे बढ़ता है।
मनोवैज्ञानिकों ने 6-12 वर्ष के बीच की अवस्था को बाल्यावस्था माना है। इस अवस्था में बालक के जीवन में स्थायित्व आने लगता है, और वह भावी जीवन की तैयारी करता है….
शैशावावस्था काल को मनोविश्लेषण सिद्धांत के प्रतिपादक सिगमंड फ्रायड कहते है “मनुष्य को जो कुछ भी बनना होता है, वह प्रारम्भ के चार-पांच वर्षों में ही बन जाता है।”