बुद्धि के सिद्धान्त | Theories of Intelligence

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बुद्धि के सिद्धान्त (Theories of Intelligence)

Theories of Intelligence: बुद्धि के सिद्धान्त से अभिप्राय बुद्धि की प्रकृति तथा संरचना के क्रमबद्ध स्पष्टीकरण से है। मनोवैज्ञनिकों ने बुद्धि की प्रकृति व संरचना को जानने के लिए तमाम विश्लेषणात्मक अध्ययन किए हैं। इन अध्ययनों का मुख्य उद्देश्य बुद्धि के तत्वों या घटकों (Factors) को ज्ञात करना था जिससे बुद्धि की जटिल प्रक्रिया को अधिक अच्छे ढंग से समझा जा सके।

मनोवैज्ञनिकों ने बुद्धि के अनेक सिद्धान्त दिए जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं – 

1. एक खण्ड का सिद्धान्त (Unifactor Theory)

2. द्वि-खण्ड का सिद्धान्त (Two-factor Theory)

3. त्रिखण्ड का सिद्धान्त (Three- factor Theory)

4. बहु-खण्ड का सिद्धान्त (Multi-factor Theory)

5. मात्रा का सिद्धान्त (Quantity Theory)

1. एक खण्ड का सिद्धान्त (Uni-factor Theory)

इस सिद्धान्त के प्रतिपादक बिने, टरमेन एवं स्टैन हैं। इन्होंने बुद्धि को एक अखण्ड एवं अविभाज्य इकाई माना है। योग्यताओं के विभिन्न परीक्षणों द्वारा यह सिद्धान्त असत्य कर दिया गया।

2. द्वि- खण्ड का सिद्धान्त (Two-factor Theory)

इस सिद्धान्त के प्रतिपादक स्पीयरमैन हैं। इनके अनुसार प्रत्येक व्यक्ति में दो प्रकार की बुद्धि होती है.

(i) सामान्य बुद्धि (General Intelligence)

(ii) विशिष्ट बुद्धि (Specific Intelligence)

इसे ‘G&Sथ्योरी भी कहते हैं। स्पीयरमैन ने सामान्य योग्यता को विशिष्ट योग्यता से अधिक महत्वपूर्ण माना है क्योंकि यह योग्यता सभी व्यक्तियों में कम या अधिक मात्रा में मिलती है, यह योग्यता व्यक्ति में जन्मजात होती है। विशिष्ट योग्यता का सम्बन्ध विशिष्ट कार्यों से होता है। ये योग्यताएँ अर्जित की जा सकती हैं।

इस सिद्धान्त को आधुनिक मनोवैज्ञानिक स्वीकार नहीं करते। 

3. त्रि-खण्ड का सिद्धान्त (Three- factor Theory)

इस सिद्धान्त का प्रतिपादन भी स्पीयरमैन ने किया। द्वि-खण्ड का सिद्धान्त प्रतिपादित करने के बाद उन्होंने बुद्धि का एक और खण्ड बताया, जिसे सामूहिक खण्ड नाम दिया गया। स्पीयरमैन ने इस खण्ड में ऐसी योग्यताओं को स्थान दिया जो सामान्य योग्यता से श्रेष्ठ और विशिष्ट योग्यता से निम्न थीं।

4. बहु – खण्ड का सिद्धान्त (Multi-factor Theory)

बहु-खण्ड के सिद्धान्त का प्रतिपादन कैली व थर्स्टन ने किया। कैली (Kelly) ने अपनी पुस्तक क्रॉस रोड्स इन द माइण्ड ऑफ मैन (Cross Roads in the Mind of Man) में बुद्धि को नौ खण्डों का समूह बताया जो निम्नांकित हैं—

(i) सामाजिक योग्यता (Social Ability)

(ii) वाचिक योग्यता (Verbal Ability)

(iii) सांख्यिक योग्यता (Numeric Ability) 

(iv) गामक योग्यता (Motor Ability)

(v) शारीरिक योग्यता (Physical Ability)

(vi) यांत्रिक योग्यता (Mechanical Ability)

(vii) संगीतात्मक योग्यता (Musical Talent)

(viii) रुचि (Interest)

(ix) स्थान सम्बन्धी विचार योग्यता

5. मात्रा का सिद्धान्त (Quantity Theory)

मात्रा के सिद्धान्त का प्रतिपादन थार्नडाइक ने किया। थार्नडाइक का मत है कि मस्तिष्क का गुण स्नायु तंतुओं (Nervous System) की मात्रा पर निर्भर करता है। अर्थात् बुद्धि उतनी ही अधिक अच्छी होती है जितने अधिक मस्तिष्क और स्नायु मण्डल के सम्बन्ध होते हैं क्योंकि मानसिक क्रियाओं का आधार यही सम्बन्ध है।

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