व्याख्या कौशल (Interpretation Skills) | अर्थ सावधानियाँ विधियाँ

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व्याख्या कौशल
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व्याख्या कौशल का अर्थ

व्याख्या कौशल: व्याख्या का अर्थ के विषय में कुछ विद्वानों ने अपने विचार दिये हैं उनमें से कुछ इस प्रकार हैं- “व्याख्या एक ऐसी युक्ति है जिससे किसी शब्द या कथन को सरल बनाकर बालकों को समझाया जाता है व्याख्या में कठिन शब्दों की जगह सरल शब्द बनाये जाते हैं और जटिल विचारों को छात्रों के अनुभूत भावों से प्रस्तुत किया जाता है तथा सभी कठिनाइयों को सरलतापूर्वक प्रस्तुत किया जाता है।”

“व्याख्या का अर्थ प्रत्येक पाठ को सुलझाने और उनके भावों को अलग-अलग करके सरल रूप में बालकों के सम्मुख प्रस्तुत करने से है जिससे बालकों को समझने में कोई कठिनाई न हो और उसके ज्ञान में वृद्धि हा सके। अतः स्पष्ट है कि सरल कठिन विषय-वस्तु को सरलता से प्राप्त करने को व्याख्या कहते हैं।

अतः कहा जा सकता है कि व्याख्या कौशल के माध्यम से एक शिक्षक अपने शिक्षण को सरल, सरस तथा छात्रों द्वारा ग्रहणीय रूप में प्रस्तुत किया जाता है जिससे अधिकतम प्रक्रिया में स्थापित करने में सहायता मिलती है। इसके द्वारा शिक्षक किसी घटना के विविध तथ्यों, साधारणीकरण क्रिया के कारणों तथा भावों की गम्भीरता को स्पष्ट करने में सहायता प्राप्त करता है। व्याख्या कौशल का प्रयोग साहित्य तथा भाषा विज्ञान में शब्द व्याख्या, भाषण, व्याख्या आदि के लिए किया जाता है।

व्याख्या कौशल के प्रयोग में सावधानियाँ

शिक्षक को शिक्षण में व्याख्या करते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए-

  • व्याख्या शुद्ध एवं स्पष्ट होनी चाहिए क्योंकि जो तथ्य शिक्षक के लिए सामान्य से होते हैं वही छात्रों के लिए कठिन होते हैं। 
  • व्याख्या करते समय अध्यापक को चाहिए कि वह छात्रों के मानसिक स्तर तथा कक्षा के स्तर को ध्यान में रखकर व्याख्या करें।
  • व्याख्या को अधिक विस्तृत नहीं करना चाहिए क्योंकि छात्रों की समझ में लम्बी व्याख्या नहीं आती है और लम्बी व्याख्या में रोचकता समाप्त हो जाती है और बच्चे ऊबने लगते है।
  • व्याख्या में कठिन शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। और प्रयोग भी करना आवश्यक है।
  • व्याख्या करते समय (Linking Words); जैसे – इसलिए, क्योंकि, और, तथा का होने
  • व्याख्या करते समय उदाहरण और दृष्टान्त छात्रों के मानसिक स्तर के अनुसार चाहिए।
  • छात्रों की रुचि तथा ध्यान को मद्देनजर रखते हुए व्याख्या करनी चाहिए। 
  • व्याख्या करते समय विचारों और वाक्यों में क्रमबद्धता होनी चाहिए।
  • व्याख्या उपदेशात्मक एवं साध्य न होकर साधन होनी चाहिए। इसका प्रयोग छोटी कक्षाओं में कम और बड़ी कक्षाओं में अधिक करना चाहिए।
  • व्याख्या में सरल शैली का प्रयोग करना चाहिए तथा तुलना, समानता, आदि से भाव स्पष्टीकरण करना चाहिए।

भाषा शिक्षण में प्रयुक्त व्याख्या की विधियाँ

भाषा शिक्षक को भाषा पढ़ाते समय व्याख्या में निम्नलिखित विधियों का प्रयोग करना चाहिए-

  • शब्दों की परिभाषा द्वारा व्याख्या। 
  • सरल पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग करके व्याख्या करना।
  • स्थूल सामग्री मॉडल, चार्ट, रेखाचित्र, आदि दिखाकर व्याख्या। 
  • कठिन शब्दों या वाक्यों की व्याख्या स्पष्टीकरण द्वारा करना
  • ‘काठिन्य निवारण’ में शब्दों को व्युत्पत्तिपरक अर्थ के माध्यम से व्याख्या करनी चाहिए।
  • जिन शब्दों का अर्थ आसानी से नहीं निकल रहा हो तो उसका अर्थ अभिनय द्वारा अर्थ समझना चाहिए।
  • मनोविश्लेषण द्वारा व्याख्या करनी चाहिए। 
  • व्याख्या मातृभाषा में ही अधिक उपयुक्त होती है।

उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि यदि यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा “व्याख्या करने की क्षमता भिन्न-भिन्न व्यक्तियों में भिन्न होती है और प्रत्येक व्यक्ति एक अच्छा व्याख्याकर्त्ता नहीं बन सकता है।” लेकिन उपरोक्त सुझावों की व्याख्या करते समय प्रयोग में लाया जाए तो व्याख्या करना आसान हो सकती है।

व्याख्या कौशल के घटक

छात्राध्यापक में व्याख्या का गुण विकसित करने के लिए एक शिक्षक को अपने व्यवहार में निम्नलिखित तथ्यों का लाना आवश्यक है। यही तथ्य घटक के नाम से जाने जाते हैं-

  • प्रारम्भिक कथन का स्पष्ट प्रयोग
  • विचारों, कथनों को परस्पर जोड़ने वाले शब्दों, मुहावरों आदि का प्रयोग।
  • स्पष्ट निष्कर्षात्मक वक्तव्य का प्रयोग।
  • भाषा में प्रवाहता
  • उपयुक्त शब्दों एवं मुहावरों का प्रयोग।
  • कथनों में क्रमबद्धता। 
  • असम्बद्ध कथनों का अभाव।
  • छात्रों की समझ हेतु बीच-बीच में प्रश्न। 
  • Linking Words का प्रयोग।

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